छत्तीसगढसंपादकीय

दुर्ग। चिराग बुझने ना पाए समिति ने किया प्रतिभाओं, उत्कृष्ट जनों का सम्मान।

‘चिराग बुझ्ने न पाये’ समिति ने किया प्रतिभाओं, उत्कृष्ट जनों का सम्मान।

शिवधाम कोड़िया में संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास की 267 वीं जयंती गुरु घासीदास मंच पर परंपरागत उल्लास उमंग से मनाया गया | सतनामी समाज ने बड़े श्रद्धा भाव से बाजा गाजा के साथ पंथी नृत्य करते बाबा की आकर्षक शोभा यात्रा निकाली | गुरु गद्दी पूजन, मंदिर एवं जैतखाम पर समाज प्रमुखों ने सफेद झंडा चढ़ाया | इस अवसर पर समाज के व गांव के स्त्री पुरुष, युवा, कन्यायें, बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित थे | पंथी नृत्य का सबने आनंद लिया | डॉ नीलकंठ देवांगन ने बताया कि सतनाम पंथ की स्थापना कर , सतनाम का अलख जगाकर बाबा ने सामाजिक समरसता, नवचेतना, मानवता का संदेश दिया | उनके सात सिद्धांत व उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं | उन्होंने कमजोर वर्ग के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त किया | सतनामी शब्द जाति वाचक शब्द नहीं है, एक विशेषण शब्द है | बाबा ने सतनाम को सत्य, अहिंसा करुणा, दया,प्रेम, क्षमा पर आधारित मानव का मूल मंत्र बताया | सतनाम आंदोलन कोई जाति या धर्म के लिए नहीं, समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है | उन्होंने कहा कि बाबा का लोक मानस पर गहरा प्रभाव है | वे असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे | दिशाहीन, दलित, पीड़ित के मसीहा थे | नारी जाति के उद्धारक थे | उनका जीवन त्याग तपस्या सेवा साधना से भरपूर था | उनके जीवन के कई अजूबे किस्से लोगों की जुबान पर हैं | उन्होंने भौतिक जगत के सत्य को बताने के साथ लोगों में अध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश भी भरा | ‘मनखे मनखे एक समान’ का भाव सिद्धांत सामाजिक एकता को दर्शाता है | वे जाति पांति, ऊंच नीच , भेदभाव के विरोधी थे | उनके करोड़ों अनुयायी हैं | वे निर्गुण धारा के ज्ञान मार्गी संत थे | जैतखाम व सफेद झंडा सतनाम पंथ के प्रतीक हैं |

 

समारोह में ‘चिराग बुझ्ने न पाये’ समिति के हेमकरण व युवा साथियों ने चित्रकला व निबंध प्रतियोगिता में विजेताओं को पुरस्कृत व प्रतिभागियों को प्रोत्साहन पुरस्कार दिया | गांव के अपने कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अनेकों प्रतिभाओं बुजुर्गों को सम्मानित किया | उनमें कई दिवंगत हो चुके थे जिनका सम्मान उनके परिजनों ने प्राप्त किया | एक नई परंपरा की शुरुआत हुई | भूली बिसरी यादों के रूप में ये सम्मान दिये गये | उन्होंने अपने काम से नाम कमाया था | वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं | रात्रि में छत्तीसगढ़ी लोक कला नाचा पार्टी मक्के के नाचा गाना गम्मत का लोगों ने आनंद लिया |

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