संपादकीय

बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे में मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी जिम्मेदार, नगर निगम अधिकारी भी दोषी

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Bawadi Accident : उज्जवल प्रदेश, इंदौर. शहर के इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना में गिने जा रहे बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे के लिए मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी जिम्मेदार हैं, नगर निगम के अधिकारी भी दोषी हैं। हादसे के नौ महीने बाद आई मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष दिया गया है। बीते साल 30 मार्च को रामनवमी के दिन पटेल नगर के बगीचे में बने बेलेश्वर मंदिर में पूजन-हवन करते लोग बावड़ी में गिर गए थे। 36 लोगों की मौत हुई और 18 लोग घायल हुए। 22 पन्नों की जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश कर दी गई है।

जांच रिपोर्ट में नौ बिंदुओं में हादसे का कारण और जिम्मेदारी तय करते हुए स्पष्ट लिखा गया है कि मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों को जानकारी थी कि मंदिर के नीचे बावड़ी है। फिर भी हवन के लिए भीड़ जुटाकर लोगों को बैठाया गया। नगर निगम के अधिकारी भी दोषी है, जिन्होंने निगम के सर्वे में लापरवाही करते हुए इस बावड़ी को गायब कर दिया और समय रहते अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं की।

मुख्यमंत्री ने दिए थे मजिस्ट्रियल जांच के आदेश

रामनवमी पर बेलेश्वर महादेव और झूलेलाल मंदिर में हवन चल रहा था। सुबह करीब पौने बारह बजे जिस जमीन पर हवन कुंड बना था और श्रद्धालु बैठे थे, वह धंस गई और 50 से ज्यादा लोग बावड़ी में गिर गए। तमाम लोगों को बाद में पता चला कि बगीचे की प्राचीन बावड़ी पर स्लैब डालकर ही मंदिर बनाया गया था। 24 घंटे से ज्यादा बचाव कार्य चला था। हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने हादसे की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। एसडीएम और अपर कलेक्टर ने जांच कर अब रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की है।

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और सचिव पर दर्ज की थी एफआइआर

हादसे के बाद पुलिस ने सेवाराम गलानी और मुरली सबनानी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। पूर्व पार्षद रहे गलानी बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और सबनानी ट्रस्ट के सचिव हैं। यही ट्रस्ट इस मंदिर का प्रबंधन और रखरखाव करता था। मजिस्ट्रियल कमेटी ने ट्रस्ट के दोनों पदाधिकारियों के साथ ही नगर निगम के जोनल अधिकारियों, बचाव में लगी टीमों के अधिकारियों के साथ नगर व ग्राम निवेश विभाग के अधिकारियों, हादसे में घायल और मृतक के परिवार के लोगों के साथ पटेल नगर के रहवासी परिवारों के बयान भी दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई। इस दौरान राजस्व से लेकर नगर निगम के भू-रिकार्ड का भी अवलोकन किया। इसमें पता चला कि नगर निगम कई बार बगीचे में हो रहे अवैध मंदिर निर्माण के विरुद्ध मंदिर ट्रस्ट को नोटिस जारी कर चुका था। हालांकि इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

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जिम्मेदारी निगम पर डालने की कोशिश फिर भी नहीं बचे ट्रस्टी

बेलेश्वर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष गलानी और सचिव सबनानी ने हादसे से पल्ला झाड़ते हुए जांच समिति को बयान दिया था कि बावड़ी प्राचीन थी, उस पर स्लैब करीब 30 साल पहले नगर निगम ने ही डाला था। मंदिर ट्रस्ट तो बावड़ी को खुलवाकर उसे साफ करवाकर जनउपयोगी बनाना चाह रहा था। इसीलिए पास में नए मंदिर का निर्माण हो रहा था। दोनों पदाधिकारियों ने निगम पर हादसे की जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि ट्रस्ट तो काफी बाद में बना, उससे वर्षों पहले स्लैब निगम ने डाला, इसलिए नगर निगम ही जिम्मेदार है।

ट्रस्टियों को मालूम था नीचे बावड़ी है

जांच समिति ने निष्कर्ष दिया कि जांच समिति को दिए बयान और निगम को नोटिस के बदले दिए जवाब में ट्रस्टियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें मंदिर के नीचे बावड़ी होने की जानकारी थी। इसके बाद भी उन्होंने हवन के लिए उस पर भीड़ जुटाई। स्लैब पर बने हवन कुंड की गर्मी और वहां जमा लोगों के वजन से स्लैब धंसा और हादसा हुआ। ऐसे में सीधे तौर पर दोनों ट्रस्टी इसके जिम्मेदार हैं।

निगम भी कम दोषी नहीं

जांच समिति ने कहा कि नगर निगम के क्षेत्रीय भवन अधिकारी और जोनल अधिकारी भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं। निगम के सर्वे में इस बावड़ी का उल्लेख नहीं मिला। साफ है कि सर्वे में लापरवाही बरती गई। दूसरी ओर अवैध निर्माण के लिए मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भी दिया जाता रहा, लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई।क्षेत्र के कई युवाओं को पता ही नहीं था कि मंदिर के नीचे 70 फीट गहरी बावड़ी है। मंदिर ट्रस्ट या नगर निगम ने मंदिर के बाहर बावड़ी की जानकारी होने संबंधी सूचना या चेतावनी का बोर्ड भी नहीं लगाया।

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