छत्तीसगढसंपादकीय

दुर्ग।श्री राम जानकी आश्रम आनंद धाम सगनी में महालक्ष्मी यज्ञ एवं श्री राम कथा जारी।

श्री राम जानकी आश्रम आनंदधाम सगनी में महालक्ष्मी यज्ञ एवं श्री राम कथा जारी

।ननकटठी।

21 से 25 तक श्री राम जानकी आश्रम आनंद धाम सगनी ‘त्रिवेणी संगम’ में पांच जगतगुरूओं का अद्भुत एवं दुर्लभ समागम हुआ है | यहां होने वाले 11 कुंडीय महालक्ष्मी यज्ञ एवं विराट संत सम्मेलन में जगतगुरूओं द्वारा श्री राम कथामृत की धारा प्रवाहित है | कथा श्रवण का लाभ लेने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं | तीसरे दिन की कथा में चित्रकूट धाम के श्री राम स्वरुपाचार्य जी, जनकपुर धाम के श्री विष्णु देवाचार्य जी, झांसी के श्री धीरेंद्राराचार्य जी महाराज, नरसिंहपीठ कोच धाम के श्री मदन गोपलाचार्य जी, चित्रकूट धाम के श्री अनूप शास्त्री जी के श्रीमुख से मानस के पावन प्रसंगों पर दिव्य प्रकाश डाला गया | मंगलवार का दिन होने के कारण सभी विद्वान वक्ताओं ने हनुमानजी के उज्ज्वल चरित्र का महिमा गान किया | डॉ नीलकंठ देवांगन ने बताया कि बारिस के कारण तीसरे दिन की कथा देर से प्रारंभ हुई लेकिन शाम छः बजे तक चलती रही | प्रतिकूल मौसम ने भी रसिक जनों को राम कथा सुनने आने नहीं रोक सका | बैठक गीला होने के कारण कुर्सियों की व्यवस्था की गई | भाइयों और माता बहनों ने कड़ी ठंड का परवाह न कर कथा सुनते रहे |

हनुमत – चरित्र पर चर्चा करते विद्वतजनों ने कहा कि राम चरित मानस में केवल एक ही ऐसा पात्र है जिसे साधु और संत कहा गया है | संत तो कई हैं पर श्री रामजी के अनन्य भक्त, सेवक, विश्वासपात्र श्री हनुमान जी ही हैं जो साधु और संत दोनों हैं | साधु वह जो साधनारत हो और संत वह जो साधना से सिद्धि प्राप्त कर लिया हो | हनुमानजी का लंका गमन उनकी साधना यात्रा थी और वहां उनके द्वारा किये परिपक्व काम सिद्धि थी | मानस में हनुमान के बिना रामजी अधूरे हैं और श्री राम के बिना हनुमान जी | हनुमान ने तो श्री सीताराम को अपने हृदय में बसा लिया था | हनुमानजी श्रीराम के तो प्यारे हैं ही, राम कथा के इतने प्यारे हैं कि अंत में श्रीराम के पूरे अयोध्या वासियों सहित निजधाम गमन करने पर यहीं रहने का निश्चय किया जहां राम कथा नित्य सुनता रहूं क्योंकि श्री राम ने कहा था कि वहां तो स्वयं मैं रहूंगा, वहां राम कथा कहां? यहां यदि एक ही कथावाचक रहे, मैं उनसे कथा सुनता रहूंगा | कई कथावाचक हैं और रहेंगे | हनुमानजी यहीं हैं | जहां रामकथा होती है, हनुमानजी पहले पहुुंच जाते हैं और अंत तक मगन हो सुनते हैं | और ऐसे कई अनछुए पावन प्रसंग बताये जिनमें हनुमानजी के ज्ञान, बल, बुद्धि, सेवा की श्रेष्ठता साबित हुई है |

उन्होंने रामजी के उदात्त, आदर्श चरित्र पर भी गहन एवं विशद प्रकाश डाला | विकारों से मुक्त होने श्रीराम और रामकथा का आश्रय लेने का आग्रह किया | दृष्टि दोष भी विकार है जिसके कारण इंद्र पुत्र जयंत और पम्पासुर के महाबली बाली को उनके किये की सजा दी थी | जयंत देव संस्कृति का था, कौआ वेष में कुदृष्टि डाली थी, अपराध अक्षम्य था, उसके एक आंख फोड़ काना किया | बाली पशु संस्कृति का था, वानर था, उसने भी कुदृष्टि डाली थी, उसे क्षमा भी करना चाहा , ‘ अचल रखौं ———‘ लेकिन बाली प्रभु श्रीराम के सम्मुख मर जाना ही श्रेयष्कर समझा |

बताया गया कि 24 और 25 की कथा में प्रयागराज के जगतगुरु श्री घनश्यामाचार्य जी महाराज भी उपस्थित रहेंगे | उनका भी दर्शन और उनके श्रीमुख से कथा श्रवण लाभ श्रद्धालु श्रोताओं को मिलेगा | अध्यक्ष दिलेश्वर सिंह क्षत्रिय सहित ट्रस्ट एवं आयोजन समिति के सभी पदाधिकारी सदस्य सुव्यवस्था एवं सुविधा सुलभ कराने सक्रिय हैं | 25 को पौष पूर्णिमा छेरछेरा है | इस दिन सत्संग मेला के साथ परंपरागत विशाल मेला भी लगेगा |

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लोकेश्वर सिंह ठाकुर (प्रधान संपादक) मोबाइल- 9893291742 ईमेल- anantcgtimes@gmail.com वार्ड नंबर-5, राजपूत मोहल्ला, ननकटठी, जिला-दुर्ग

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