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किसान आंदोलन के समर्थन में उतरा छत्तीसगढ़ मुक्ती मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति, 4 नए श्रम कोड के खिलाफ भी खोला मोर्चा… पढ़िए इन मजदूरों का दर्द

भिलाई। भारत बंद के अपील के समर्थन मे छत्तीसगढ़ मुक्ती मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति प्रगतिशील सीमेंट श्रमिक संघ ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, एसीसी एवं औध्योगिक क्षेत्र के मजदूर काम से छूटने के बाद नियोगी चौक पहुँचकर नारे बाजी के साथ प्रदर्शन किए। वक्ताओ ने कहा की किसानों पर लाठिया, ड्रोन से आँसु गैस छोड़ा जाना सड़क पर किले और गढ्ढे खोदना मतलब सरकार किसानों से डर रही है, 2020-2021 में जब 1 साल तक दिल्ली बार्डर पर लाखों किसानो ने डेरा डाला तब 750 किसान शहीद हुए तब कही जाकर उद्योगपतियों को फायदा पहुँचाने वाले कृषि के तीन काला कानून वापस हुए थे प्रधानमंत्री मोदी को माफी मांगनी पड़ी। उस समय किसानों से एक वादा किया गया था की एक कमिटी बनाई जाएगी जो एमएसपी का कानून बनाएगी दो साल गुजर गए पर अभी तक एमएसपी का कानून नही बना है। इस सवाल को पूछने के लिए दिल्ली कूच कर रहे किसान संगठनो के साथियों के साथ बरबर दमन किया गया।

उन्होंने आगे बताया कि, वही केंद्र सरकार ने मजदूर विरोधी 4 श्रम कोड लाया है। जो मजदूरों को गुलाम बना देगा आज मजदूरों की स्थितियां बद से बदतर होते जा रही है कहीं भी स्थाई नौकरी नही मिलती हर जगह केवल ठेकेदारी मे काम है जिसमे स्थाई मजदूरों का मात्र एक तिहाई पगार मिलता है ज्यादातर कामों मे 12 घण्टे का सिफ्ट है जिससे मजदूर का कोई पारिवारीक जीवन रह नही जाता, जब साप्ताहिक छुट्टी ही नही तो आराम कैसे मिले। सेफ्टी सुरक्षा को तो ताक पर रखकर ठेकेदारी मजदूरों से काम कराया जाता है 2021 मे श्रम मंत्री ने संसद को बताया की पाँच वर्षो में करीब 6500 मजदूरों की जान उद्योगों में काम करते हुए चली गई ईतनी मौते तो बॉर्डर पर जवानों की नही होती।

उनका कहना है कि, अब 4 श्रम कोड लाकर सारे पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा। इस श्रम कोड मे सभी मजदूर ठेकेदारी मे होंगे यानी स्थाई मजदूर नही होंगे युनियन बनाना भी अधिक कठिन हो जाएगा। वही बस्तर के अंदर आदिवासियों के उपर दमन कर रही है केंद्र सरकार, रावघाट माइंस के नाम पर आदिवासी के उपर कई तरह के केश लाद रहे है। इस काले कानून के खिलाफ मजदूर वर्ग संघर्ष के मैदान पर जायेंगे। कार्यक्रम मे धनजय शर्मा, संतोष यादव, मोहमद अली, सुरेंद्र मोहंती, जय प्रकाश नायर, रमाकांत बंजारे, महेश साहू, संदीप पटेल, सनत निरा, सुमित राजेंद्र परगनिहा, कलादास डेहरिया आदि सैकड़ों लोग शामिल थे।

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