छत्तीसगढसंपादकीय

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में बेजुबानों का नरसंहार: सरपंच पर लगा बाहर से शिकारी बुलाकर 26 कुत्तों को एयर गन से मरवाने का आरोप, 20 से ज्यादा दिन हो गए पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं, तालाब-नदी के रास्ते में फेंकवाया शव

कोरदा-लवन, बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ में पशु क्रूरता का बड़ा और गंभीर मामला सामने आया है। बलौदाबाजार के कोरदा-लवन में सरपंच पर आरोप है कि, उसने बाहर से शिकार बुलाकर 26 बेजुबानों को मौत के घाट उतरवा दिया। इस घटना से बड़ा सवाल ये उठता है कि, बेजुबानों पर कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है कि हत्या ही करवा दे। वो भी एक-दो नहीं, 26 श्वानों की? मामला कोयदा गांव का बताया जा रहा है। सरपंच हेमंत साहू ने 24 दिन पहले गांव में बाहर से शिकारी बुलवाए थे। उन्हें गांव की गलियों में घूमने वाले आवारा श्वानों को मारने कहा था। शिकारियों ने एक ही दिन में 16 श्वानों को मौत के घाट उतार – दिया। इनके शवों को गांव के तालाब और नदियों के रास्ते में फेंकवाया-गया है।

पत्रिका न्यूज़पेपर में छपी खबर के अनुसार, मामले को लेकर पूर्व सरपंच और गांव के लोगों ने 29 जनवरी को बलौदाबाजार कलेक्टर, एसपी, एसडीएम और लोकल थाने में इसकी शिकायत की थी। आरोपी सरपंच के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा था। शिकायत किए 23 दिन बीत चुके हैं। आरोपी अब भी खुले में घूम रहा है और जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। गांववालों ने अपनी शिकायत में कहा है कि सरपंच ने बिना किसी अनुमति के गांव में घूमने वाले 26 आवारा श्वानों को शिकारी बुलवाकर मरवा दिया है। बेजुबानों के साथ इस तरह बर्ताव करने वाले के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन, प्रशासन है कि कार्रवाई से बच रहा है। ऐसे में अफसरों के रवैये को लेकर भी गांववालों में आक्रोश पनपने लगा है। ग्रामीणों ने सोमवार को भी कलेक्टर, एसपी से शिकायत की है।

पूर्व सरपंच धनसाय साहू ने बताया, सरपंच ने श्वानों को मरवाने के बाद शवों को खुले में फेंकवा दिया है। श्वानों को बुरहमी में मारने के बाद हाई स्कूल रोड नदी तालाब, रामघाट नदी रास्ता में, नदी रास्ता अमरैया के पास रास्ते में शव फेंके गए हैं। कुछ शव तो जल सोतों के ठीक आसपास पड़े हैं। इनसे उठने वाली बदबू के चलते लोगों का सांस लेना दुभर हो गया है। इसके चलते महामारी फैलने की आशंका भी बनी हुई है। लोगों की मांग है कि लोक स्वास्थ्य के मद्देनजर स्वास्थ्य अमले को इस समस्या का निराकरण करना चाहिए। समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो संक्रमण फैलेगा।

गांववालों की मांग है कि सरपंच के खिलाफ पशु अधिनियम के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। पूर्व सरपंच और ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच ने शिकायत करने के बाद कुछ गवाहों पर दबाव बनाकर उनसे कोरे कागज में दस्तखत करवा लिए हैं। चूंकि राज्य सरकार की महती योजना के अंतर्गत महिलाओं को निवास प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में सरपंच द्वारा कहा जा रहा है कि मेरे खिलाफ बयान दोगे तो निवास प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर नहीं करूंगा। सरपंच के इस रवैये से गांववालों का आक्रोश और भी बढ़ गया है।

This image has an empty alt attribute; its file name is advt-chouhan-green-valley.jpg

गांव के पूर्व सरपंच धनसाय कहते हैं, हम कलेक्टर, एसपी, एसडीएम और लोकल पुलिस से शिकायत कर चुके हैं। 23 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। सोमवार को दोबारा ज्ञापन सौंपा है। अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो सरकार से बात रखेंगे। अफसरों के ढीले रवैये की भी शिकायत करेंगे। इस मामले में बलौदाबाजार SP सदानंद कुमार ने कहा है कि, कोयदा में आवारा श्वानों को शिकारी बुलवाकर मरवाने का मामला मीडिया के माध्यम स संज्ञान में आया है। जल्द दिखवाता हूं।

5 साल तक की हो सकती है सजा!
IPC की धारा 429 किसी जानवर की हत्या करना या अपाहिज करने को अपराध बनाती है। ये धारा कहती है कि अगर किसी जानवर की हत्या की जाती है, उसे जहर दिया जाता है या फिर अपाहिज किया जाता है, तो दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। वहीं, पशु क्रूरता निवारण कानून की धारा 11 (1) (L) के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी जानवर के हाथ-पैर काटता है या बिना वजह ही क्रूर तरीके से उसकी हत्या करते है, तो ऐसा करने पर दोषी पाए जाने पर तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g)क्या कहता है?
संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g) कहता है कि हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। यानी, हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखे।

1960 में लाया गया था पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।

Source link

anantcgtimes

लोकेश्वर सिंह ठाकुर (प्रधान संपादक) मोबाइल- 9893291742 ईमेल- anantcgtimes@gmail.com वार्ड नंबर-5, राजपूत मोहल्ला, ननकटठी, जिला-दुर्ग

Related Articles

Back to top button