छत्तीसगढसंपादकीय

भिलाई में शिवमहापुराण के चौथे दिन माता सती की कथा और यज्ञ का बताया गया महत्व, शिव-पार्वती की शादी की झांकी देखने उमड़े भक्त

भिलाई। भिलाई के कैम्प-1 शिव संतोषी, तीन दर्शन मंदिर में शिव शक्ति सेवा समिति द्वारा शिवमहापुराण के चतुर्थ दिवस शिव-पार्वती की शादी की झांकी प्रदर्शित की गई। कथावाचक आराध्य शर्मा के द्वारा श्री शिवमहापुराण कथा में व्यासपीठ से कथाएं निवेदन की गई की कभी भी कोई भी यज्ञ किसी को नीचा दिखाने ने लिए ना करें, यज्ञ ही जीवन बनाता है यज्ञ ही जीवन का नाश करता है राजा दक्ष ने भगवान को अपमानित करने के लिए यज्ञ किया उनका सर्वनाश हुआ। क्रोध का जीवन में बड़ा महत्व है लेकिन क्रोध हमे कहां नही करना चाहिए स्थानों पर कभी क्रोध न करे। सुबह उठकर, पूजा के समय, खाना खाने के समय,घर से निकलते समय, घर वापस आते ही एवम शयन के समय। भगवान शिव की कथा में सती के कोयल का रूप धारण करने की कथा भी सुनाई गई। धरती माता राक्षस तारकासुर से व्यथित था। अतुलित बल पाकर अभिमान में चूर था इधर भगवान शंकर समाधि लिए 87 वर्ष तक जप में है अभिमानी ने वरदान मांगा की भगवान शंकर के अंश से ही मेरी मृत्यु हो।

देवता त्राहि त्राहि करने लगे कामदेव को निवेदन किया कामदेव ने काम के बाण चलाए पश्चात विशाल नेत्र वाले भगवान ने तीसरा नयन खोला कामदेव जलकर राख हुवा। उनकी पत्नी रती को भगवान ने वरदान दिया द्वापर युग में कामदेव कृष्ण के पुत्र के रूप में प्रद्युमन बनकर आएंगे तब तुम्हारा होगा। भगवान काम का शमन भी करते है काम को स्थापित भी करते है। आगे माता सती पुनः जन्म ली राजा हिमाचल के घर बेटी पार्वती के रूप में जन्म लेने की कथा विस्तार पूर्वक गाई गई। माता पार्वती के कठिन तप की कथा। माता पार्वती के सप्तऋषि के साथ चर्चा एवम महादेव द्वारा पार्वती के घर जाकर उनके परिणय के लिए निवेदन की कथा विस्तार पूर्वक गाई गई।

कथावाचिका ने बताया कि, भगवान शंकर आदि पुरुष है ना उनके कोई माता है ना पिता ना कोई रिश्तेदार। भगवान ने देवताओं को रिश्तेदार बनाया मंगल परिणय के लिए लगन पत्रिका तयार की गई। अद्भुत श्रृंगार हुवा भोलेबाबा का जैसे दूल्हा वैसे बराती। दुनिया का सबसे अजीब बारात नंदी में उल्टा बैठकर भगवान शंकर माता पार्वती को ब्याहने चले। देवता, नर, नाग, किन्नर भूत प्रेत डंकनी, संखनी, सभी चले। माता पार्वती का पाणिग्रहण हुवा ढोल नगाड़े बजे देवताओं ने फूलों की वर्षा की। प्रसंग का सिख यही की हम भी जीवन में विवाह करे तो काम की प्रेरणा से नही राम की प्रेरणा से जीवन में श्रद्धा रूपी पारवती एवम विश्वास रूपी भगवान शंकर का आगमन होगा।

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