संपादकीय

देश में आज से लागू हुआ सीएए, जाने इससे जुड़ा विवाद?

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CAA Notification: उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों की अधिसूचना आज सोमवार को जारी हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को शाम छह बजे सीएए के नियमों को लेकर अधिसूचना जारी की गई है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों की अधिसूचना जारी होना केंद्र सरकार का बड़ा फैसला है।

CAA अधिसूचना कब आएगी?

बता दें कि आने वाले कुछ ही दिनों में आगामी लोकसभा चुनावों की तारीखों का एलान हो सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा देश में नागरिकता संशोधन कानून के लिए अधिसूचना जारी करना मास्टर स्ट्रोक है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है।

सीएए कानून कब पारित हुआ ?

सीएए दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका है क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना है।

CAA के अनुसार किसे मिलेगी भारतीय राष्ट्रीयता?

सीएए नियम जारी होने के बाद जो लोग बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे केवल उन्हें ही केंद्र सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीयता दी जाएगी।

CAA में कौन से धर्म शामिल हैं?

CAA में छह गैर-मुस्लिम समुदायों हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शामिल हैं। इन्हें केवल भारतीय नागरिकता तब ही मिल सकती है, जब इन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में शरण ली हो।

क्या है आपत्ति?

एक तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि CAA धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को आसरा देने के लिए लाया गया है। तो दूसरी तरफ CAA के विरोध में कहा जा रहा है कि यह मुसलमानों को बेघर करने के मकसद से लाया गया कानून है। जब 2019 में इस कानून पर लोकसभा में बहस चल रही थी तब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया था कि कानून का इरादा मुसलमानों को बेघर करना है।

दरअसल सीएए को एनआरसी से जोड़कर देखे जाने पर समस्या खड़ी होती है, कहा जाता है अगर एक मुसलमान NRC के दौरान अपने नागरिकता से जुड़े दस्तावेज दिखाने में नाकामयाब होता है तो उसे मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। इसके जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने इंडिया टूडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सीएए को एनआरसी से जोड़कर ना देखा जाए और किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जाने वाली है।

इस दौरान ज़िक्र आता है एनपीआर का, जिसे एनआरसी की पहली स्टेप माना जाता है। माना जाता है कि एनपीआर होने के दौरान सरकारी कर्मचारी हर घर में जाएंगे, हर शख्स का डेटा जमा करेंगे। इसके आधार पर एक लिस्ट तैयार होगी जिसमें ‘Doubtful citizens’ के नाम लिखे जाएंगे और इन नागरिकों से कहा जाएगा कि वह नागरिकता को प्रामाणित करने वाले दस्तावेज़ पेश करें यानी ये साबित करें कि वह भारत के नागरिक हैं या नहीं। इसके बाद एक लिस्ट तैयार होगी जो यह तय करेगी कि इनमें से कितने अपनी नागरिकता साबित कर पाएं हैं और कितने नहीं। जो नागरिक विफल होंगे उन्हें ‘डिटेनशन सेंटर’ भेज दिया जाएगा।

माना जाता है कि जिन मुसलमानों के पास देशभर में NRC के दौरान में अपनी नागरिकता साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ नहीं होंगे उन्हें अवैध प्रवासी घोषित किया जा सकता है और वे CAA के जरिए नागरिकता भी नहीं ले पाएंगे—क्योंकि CAA के तहत सिर्फ हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रवाधान है।

एक आपत्ति यह भी दर्ज की जाती है कि अगर सरकार वाकई प्राताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना चाहती है तो तिब्बत, श्रीलंका और म्यांमार जैसे अन्य क्षेत्रों के सताए गए अल्पसंख्यकों के साथ-साथ हजारा, अहमदिया नागरिकों को क्यों इसमें शामिल नहीं किया गया है।

CAA को लेकर अमित शाह ने कही बड़ी बात

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए का कार्यान्वयन कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि यह देश का कानून है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे लेकर केंद्र पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था।

सीएम ममता ने सीएए को बताया भाजपा का प्रचार

केंद्र द्वारा आज सीएए नियमों की अधिसूचना जारी होने की संभावना को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पहले मुझे नियमों को देखने दीजिए। अधिसूचना अभी तक जारी नहीं की गई है। अगर लोगों को नियमों के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे। यह चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार है और कुछ नहीं है।



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