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शंकर सुवन केशरी नंदन
हनुमान जी भगवान श्री रामजी के अनन्य व परम प्रिय हैं | वे श्री शंकरजी के 11वें अंशावतर हैं | उनका जन्म आज से लगभग पच्यासी लाख अंठावन हजार एक सौ बारह वर्ष पहले आज ही के दिन यानी चैत्र शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र मेष लग्न के योग में सबेरे 6.03 बजे आज के हरियाणा राज्य के कैथल जिले में त्रेतायुग के अंतिम चरण में हुआ था | पहले यह कपिलस्थ कहलाता था | उनका जन्मोत्सव चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को पूरे भारत देश में धूम धाम से मनाया जाता है | माता अंजनी थी | उनके पिता केशरी कपि जाति के राजा थे | उन्हें कपीश कहते हैं |
माता सीता ने उन्हें कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को अमरता का वरदान दिया था | कई जगहों पर आज भी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है |
वे कार्य में कुशल एवं निपुण थे | ज्ञानी, गुणी, चतुर थे | ताकत और वीरता के प्रतिमूर्ति थे | विशिष्ट प्रबंधन एवं बुद्धि कौशल से उन्होंने माता सीता का पता लगाया, उन्हें खोज निकाला | वे विशुद्ध विज्ञान सम्मत थे | तुलसीदास जी ने उन्हें विशुद्ध विज्ञानी कपीश्वर कहा है | सच्चा विज्ञानी वह जो अपना अंवेषण, खोज जनहित में करे | हनुमान चालीसा विज्ञान है, खोज है | हनुमान जी भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाओं एवं संकटों को दूर करते हैं – ‘संकट कटै, मिटै सब पीरा, जो सुमिरत हनुमत बल बीरा |’ हनुमान जयंती के दिन भक्तों को रामायण, राम चरित मानस, सुंदर कांड का पाठ, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बाहुक का पाठ करना चाहिए |
हनुमान जी के पांच मुख पांचों कोषों का प्रतिनिधित्व करते हैं – अन्नमय कोष, प्रानमय कोष, विज्ञानमय कोष एवं आनंदमय कोष | वे वानर योनि के होते भी मनुष्य की भांति बौद्धिक एवं मानसिक विकास करने में सक्षम रहे | इसलिए देवताओं के भांति पूजित हुए | उन्होंने अपनी शक्तियों का उपयोग दूसरों की सेवा के लिए किया | इसलिए वे आदर्श माने जाते हैं | उनका सबसे बड़ा शत्रु मारीच पुत्र कालनेमि था जिसे रावण ने उन्हें मारने के लिए भेजा था लेकिन अपनी बुद्धि बल से उस पर विजय पाई |
उन्हें चिरंजीवी का आशीर्वाद प्राप्त है | वे सात अमरत्व प्राप्त मनीषियों में से एक हैं | वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले और संकट मोचक कलयुग के देवता माने जाते हैं | उन्हें बीर बजरंगी भगवान हनुमान भी कहते हैं | वे संसार में हर कार्य करने में समर्थ हैं |
डॉ नीलकंठ देवांगन ने बताया कि शिवधाम कोड़िया में भक्ति भाव एवं श्रद्धा पूर्वक हनुमान जयंती मनाया गया | स्वयंभू भगवान शिव मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित हनुमान जी की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार किया गया | विशेष पूजा अर्चना आराधना आरती की गई | भोग लगाया गया | हनुमान चालीसा का पाठ किया गया | संगीतमय मानस गान हुआ | प्रसादी बांटी गई |